भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं क्या क्या / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं क्या क्या

काम करूँ


जीवन के

पल क्षण के

बिखर गए

सब मन के

चिंतामय

याम करूँ


भय ही भय

स्थिर संशय

क्या है भव

का आशय

कहाँ चलूँ

धाम करूँ


(रचना-काल -22-2-62)