ये मोर संगी सुमत अटरिया, चढ़बोन कइसे मन ह बिरविट बादर है। 
जतन के मारे बनत बिगड़थे, आंखी आंजे काजर है। 
भाई भाई म मचे लड़ाई, पांव परत दूसर के हन 
फ़ूल के संग मां कांटा उपजे, अइसन तनगे हावय मन 
धिरजा चिटको मन म नइये, ओतहा भइगे जांगर हे। ये मोर
बात बात म बात बढ़ाके, दूरमत ल मोलियाये हन। 
परबर चारी बना बनाके, अपने आपन हंसाये हन
भाई के अब भाव नई रहिगे बनगे घुनहा खांसार हे। ये मोर 
लड़त कछेरी नर नियांव म, घर ह धलोक मठावत हे 
नाव नठागे गांव भठागे, सेवत करम ठठावत हे
घर ला फोरत फोर करइया हासत एक मन आगर हे। ये मोर
दाई दादा के मयां ह जागे तिरिया माया सजागे हे। 
कोन ले कहिबे कइसन कहिबे, मन हा घलोक लजागे हे 
कल किथवन में अंकल सिरागे, सुक्खा मयां के सागर हे मोर