मौसम का अज़ाब चल रहा है 
बारिश में गुलाब चल रहा है 
फिर दीदा ओ दिल की खैर हो यारब 
फिर ज़ेहन में ख़्वाब चल रहा है
सहरा के सफ़र में कब हूँ तनहा 
हमराह सराब चल रहा है
ज़ख्मों पे छिड़क रहा है ख़ुशबू 
आँखों पे गुलाब मल रहा है 
आंधी में दुआ को भी न उट्ठा
यूँ दस्त ए गुलाब शल रहा है