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यथार्थ - आदर्श / महेन्द्र भटनागर

जीवन और जगत जैसा हमको प्रत्यक्ष दिखा,

वैसा, हाँ केवल वैसा, हमने निष्पक्ष लिखा !

मानव-समता का स्वप्न, हमारा आदर्श सदा,
जिसको धारण कर, जन-जन जीवन-उत्कर्ष सधा !

प्रतिश्रुत हैं हम, शोषण-रहित समाज बनाएंगे,
प्रतिबद्ध कि हम जगती पर ही स्वर्ग बसाएंगे !

इतिहास बनाने की अभिनव दृष्टि हमारी है,
उत्कृष्ट समुन्नत नव जीवन-सृष्टि प्रसारी है !