भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यदि / मोहन राणा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे मर जाएंगे
तो विलुप्त हो जाएंगी लहरें
पत्थर हो जाएगी नदी
जीवाश्म हो जाएंगी मछलियाँ पानी में
नाव खो देगी अपना किनारा,
यदि लहरों के राजहंस मर जाएँ
हम रुके रह जाएंगे
अतीत में किसी वर्तमान को खोजते

रचनाकाल: 8.4.2006