फिर आई वसन्तपंचमी
माँ मैं तुम्हारा लाल
देखो रख रहा गुलाल
तुम्हारे पैरों पर
आशीष में
उसी गुलाल का
लगाया करती तुम टीका
मेरे माथे पर
माँ
सिर झुकाए खड़ा
मैं प्रतीक्षा कर रहा...
फिर आई वसन्तपंचमी
माँ मैं तुम्हारा लाल
देखो रख रहा गुलाल
तुम्हारे पैरों पर
आशीष में
उसी गुलाल का
लगाया करती तुम टीका
मेरे माथे पर
माँ
सिर झुकाए खड़ा
मैं प्रतीक्षा कर रहा...