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याद / संज्ञा सिंह
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जब भी आ जाती है
तुम्हारी याद
बरस जाती हैं आँखे रोकते-रोकते जब भी आ जाती है
तुम्हारी याद
भर आता है गला
शब्दहीन हो जाती है जुबान
सकते में आ जाती हूँ यूँ ही
कुछ भी अच्छा नहीं लगता
कहीं भी शायद सिरे से हट जाती है
पूरी दुनिया मेरे लिए ।