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याद दिला में हमारी बसा लीजिये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
याद दिल में हमारी बसा लीजिये।
ख़्वाब में जब भी चाहें बुला लीजिये॥
बढ़ रही है तड़प और बेचैनियाँ
दर्द की दिल के कोई दवा लीजिये॥
रात तारों भरी चाँद दिखता नहीं
जाइये चाँद का भी पता लीजिये॥
हर तरफ हैं कुल्हाड़े चमकने लगे
कट न जाये शज़र को बचा लीजिये॥
पाप धोने के काबिल न गंगा रही
इस नदी का प्रदूषण मिटा लीजिये॥