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ये चेहरा पहचाना है / शिवकुटी लाल वर्मा
Kavita Kosh से
गली-गली में, डगर-डगर में
भटक रहे सुनसान नयन,
ऐसा क्या वीरान शहर में, जो याराने जैसा है...
बसा अजनबी नज़रों में,
घूर रहा इन्सान यहाँ,
कौन यहाँ है जो पूछे -- यह चेहरा पहचाना है?