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रखिये हृदय पवित्र नित ,यह ही सच्चा ज्ञान / रंजना वर्मा

रखिये हृदय पवित्र नित, यह ही सच्चा ज्ञान
जब तक साँस चला करे, करिये जग कल्यान

रैन दिवस चलता रहे, जीवन का संग्राम
कौन नहीं है चाहता, पाना सुख का दान

सुख के मिलते चार दिन, दुख की लगे कतार
दुर्दिन में ही मित्र की, होती है पहचान

अपना अपना कह रहे, दुनियाँ के सब लोग
लेकिन अपना कौन है, कौन सका यह जान

किया कलंकित सन्त को, कैसा है संसार
राम रूप धर घूमती, रावण की सन्तान

किसको क्या किसने दिया, किसने किया फरेब
न्याय हुआ तो मारते, बीच सड़क इंसान

सच्चे पथ पर यदि चले, सारी मानव जाति
तभी कृपा हर एक पर, करते श्री भगवान