भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजविद्या / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्म सफल
सद्गुरू केॅ पाय केॅ
राज-विद्या सें ।

राज-विद्या तेॅ
अतिगोपनीय छै
अति पावन ।

राज-विद्या तेॅ
प्रत्यक्ष अनुभूति
साधक पावै ।

धारणीय छै
सुखद, करणीय
अव्यय भी छै ।

हम्में अपनैलौं
तोंय भी अपनावोॅ
राज-विद्या केॅ ।