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राज दुलारी (गीत) / संजीव 'शशि'
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परियों से बढ़कर मेरी,
बिटिया प्यारी-प्यारी।
सोजा मेरी राज दुलारी॥
झमझम करती दिन भर खेली,
गुड़िया खेल-खिलौने।
आजा इन नयनन में धर दूँ,
सुंदर स्वप्न सलौने।
तुम भी सो जाओ अब देखो,
सोयी दुनिया सारी।
बाँहों के झूले में हौले-
हौले तुम्हें झुला दूँ।
सुंदर-सुंदर से चंदा,
मामा से तुम्हें मिला दूँ।
निंदिया रानी थपकी देतीं,
होतीं पलकें भारी।
सूरज की स्वर्णिम किरणें जब,
आकर तुम्हें जगाएँ।
झूम-झूम कर पुरवा नाचे,
पंछी गीत सुनाएँ।
नयी उमंगों से महकेगी,
जीवन की फुलवारी।