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रात ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
अंधेरो
आंख रो काजळ,
तारा
डील री रूंआळी,
कुण कवै
रात नै काळी ?
बीं रो ही रूप
दीठ
दिवलै री उजाळी !