भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात में अचानक / अरनेस्तो कार्देनाल / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
रात में अचानक साइरनों का
लम्बा, लम्बा, लम्बा अलार्म सुनाई देता है
साइरन की भीषण अग्नि-चीख़
या मृत्यु की सफ़ेद ऐम्बुलेंस
जैसे रात में चीत्कार कर रहा हो कोई प्रेत,
करीब, और करीब आती हुई सड़कों पर,
घरों के पास, वह उठती है, उठती है और बैठ जाती है,
और वह बढ़ती है, बढ़ती है, बैठती है
और विलीन हो जाती है,
बढ़ती हुई और मरती हुई.
वह न आग है न मौत:
सिर्फ एक तानाशाह गुज़र रहा है तेज़ी से।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल