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राम-लीला गान / 21 / भिखारी ठाकुर

प्रसंग:

मिथिला में विवाह के समय दुलहा रूप में श्रीराम सौन्दर्य का वर्णन।

झमरत बाटे मिथलेस के भवानवाँ, हाय रे जियरा; दुलहा के रूप अनमोला। हाय रे जियरा.
कारी-कारी जुलुफी का ऊपर से मउरिया, हाय रे जियरा; झूलत बा कुंडल कपोल। हाय रे जियरा.
साँवर-साँवर गोर-गोर उमर में बरोबर, हाय रे जियरा; केहू नइखे लागत मझोल। हाय रे जियरा.
एक मन करेला अकेले बतिअइतीं, हाय रे जियरा; ‘भिखारी’ परदा खोला। हाय रे जियरा.