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राम / प्रदीप जिलवाने
Kavita Kosh से
होना तो चाहिये था
ये
कि तुम्हें सबकी फिक्र होती
और हो रहा है ये
कि
मरे जा रहे हैं सब
फिक्र में तुम्हारी।
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