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रायता इफ्फलैंड: आजादी भी सपना है / विष्णुचन्द्र शर्मा

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रायता इफ्फलैंड
विकलांग बच्चों का
एक सामाजिक न्याय का सपना हो तुम!
‘सोलो’ बजाती थी तुम!
और मैं जनतांत्रिक बर्लिन का सपना
बुन रहा था।
कोई बात नहीं जनतांत्रिक बर्लिन की सरकार
उखड़ गई थी!

कोई शिकायत तुम्हारी माँ को नहीं थी
बर्लिन की दीवार के टूट जाने पर!
वह तुम्हें रात-दिन सोवियत क्रांति का
सपना दिखाती थीं।

आज जब माँ छोड़ गई है तुम्हें अकेला!
और उत्तर जर्मनी की सरकार के साथ
सोवियत संघ का नाम मिट गया है भूगोल से।
आज भी पश्चिम जर्मनी में तैनात है अमरीकी सेना
और फ्रांस और ब्रिटेन की बस्तियाँ खड़ी हैं
संयुक्त जर्मनी में!

रेल चलाते हैं अमेरिकी और छोड़ दो
सामाजिक न्याय की (बैंक की) बातें।
याद है माँ से तुम्हारी शिकायतें वाज़िव थीं
पर उस दिन आज़ाद दरवाजे़ से संसद-भवन तक
घने जंगलों से उग आई थी जनता
चाहती थी जर्मन सरकार छोड़ दे ‘नाटो’ से नाता
और बुश की सेना लौट जाए ईराक से।
पर तुम्हारा सामाजिक न्याय का सपना टूट गया था
जब बुश की सेना ईराक को नेस्तनाबूद कर रही थी।
वह बर्लिन की नहीं अब
अमेरिका की आज़ादी का जश्न मना रहे हैं
सामाजिक न्याय के लोग।