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रिंघरोहि में / ओम पुरोहित कागद

काळी-पीळी रात
रिंघरोही में
धोरां री पाळ
ठीमर-ठीमर
निरत करै
लड़ालूंब हरियल खेजड़ी

हरियल
धानी चूंदड़
फरकावै
आभै साम्ही
अचाणचक
बादळां री ओट सूं निसर
उण री चूंदड़ में
चंदो त्या करै
खेजड़ी गुमेजै
स्यात एसकै
बादळिया स्या करै।

खेजड़ी माथै बैठ्या
मोर-पप्पईयां री बाणी
पिव!
पिव!!