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रोते रोते मुस्कुराना रह गया / लव कुमार 'प्रणय'
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रोते - रोते मुस्कुराना रह गया
जिन्दगी को आजमाना रह गया
तेरी महफ़िल छोड़ कर सब जा चुके
एक मैं तेरा दिवाना रह गया
उड़ गया पंछी खुले आकाश में
तानता जालिम निशाना रह गया
बात जो कहनी न थी वह कह गये
और क्या सुनना - सुनाना रह गया
अब कहाँ मिलते सुदामा कृष्ण से
नाम का ही दोस्ताना रह गया
हर कोई आया मेरा गम बाँटने
एक बस उनका ही आना रह गया
बाद बेटी की विदाई के 'प्रणय'
सूना सूना आशियाना रह गया