जो उखाड़ा गेन्दे के फूल को तो देखा
जड़ें अभी कई फूल खिलाने को हैं
उजाड़ने की लय में यह भूल ही गया
ये फूल हैं आदमी नहीं ।
जो उखाड़ा गेन्दे के फूल को तो देखा
जड़ें अभी कई फूल खिलाने को हैं
उजाड़ने की लय में यह भूल ही गया
ये फूल हैं आदमी नहीं ।