लाज लगै छै / नंदकिशोर शर्मा
की कहियौ रै नूँनूँ कहतें लाज लगै छै
पराधीन सं भी बद्तर अब ई जिनगी मुहताज लगै छै।
आगू नाथ न पीछू पगहा, ई आजादी ऐसन भेल छै
डेग-डेग पर नाचै रावण खून आजकल फैसन भेल छै
मोखा-मोखा खतराघंटी हवा आब रंगबाज लगै छै
की कहियौ रे नूँनूँ कहतें लाज लगै छै।
केकरा घर में आजादी छै, नूँनूँ मालिक जोंन समझियें
भेलै भैस लाठीबाला के, नूँनूँ मौनेमोन समझियें
जे बरिया आजादी ओक्कर, मरतै निमला अंदाज लगै छै
की कहियौ रे नूँनूँ कहतें लाज लगै छै।
भागल कोकवा गाँव छोय्र कै, बुधनी माय के बंद केबाड़ी
बंद घॅर में खेलै बुतरूआ, खाली-खाली डेढ़िया द्वारी
चौतरफा चुप्पी पर चुप्पी, साज बिना आवाज लागै छै
की कहियौ रे नूँनूँ कहतें लाज लगै छै।
अब नै ईद, पुरनका फगुआ, ऊ प्रेम के हुक्कापाती
कहाँ बिलैलै प्रीत के तजिया, काली-दुर्गा भोर पराती
बैर भाव के खेती घर-घर बैमानी पर नाज लगै छै
की कहियौ रे नूँनूँ कहतें लाज लगै छै।
मुंह पर इन्कलाब की मन में, चौंसठ गो झलकै धुरफंदी
देख देख हड़कंप राज अब सकल शराफत तालाबंदी
डगमग डोलै नाव भँवर में होत वतन बर्बाद लगै छै
की कहियौ रे नूँनूँ कहतें लाज लगै छै।