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लाड्डो पूछै बाबा से (बारात आगमन) / खड़ी बोली
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
बारात आगमन का गीत
लाड्डो पूछै बाबा से ओ बाबा
मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मैं ।
-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो
तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।
बोल गए बतळा गए बागों मैं
मेरी रंग भरी लाड्डो को नजर लगा गए बागों मैं।
लाड्डो पूछै ताऊ से ओ ताऊ
मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।
-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो …
लाड्डो पूछै पिता से ओ पिता
मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।
-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो
तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।
लाड्डो पूछै चाचा से ओ चाचा
मैं किस विध देखण जाऊँ ,रंगीले आ उतरे बागों मै।
-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो
तुम मालाण बन कै , रंगीले आ उतरे बागों मैं ।
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