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लार सनी लोइयाँ / सोमदत्त
Kavita Kosh से
नीति के पानी से
राज के आटे की
लार सनी लोइयाँ थापी जाएँ कानून के हाथों
काले-सफ़ेद अंगारों में
सिकें साथ-साथ
एक ही चूल्हे में
भुने, फूलें, खरी हों
चुपड़ी जाएँ मतदाताओं के चिकनाई भरे सपनों से
पेट-पेट भर मिलें
सबको मय बाल-बच्चों के
ऎसा सपना
देखा सदस्यों ने
दाख़िल करते अपना नाम
हर आम चुनाव में