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लिखत के प्रेम गीत / कामिनी कामायनी
Kavita Kosh से
कदंबक गाछ त कटि
चुकल छल आब,
कृशकाय
एकसरि ठाढ़ राधा
हेरे छली एखनहु कृष्णक बाट
सखी सब पहिनहि संग छोड़ लेन्ह,
आब मुरारी सेहो निपता,
केहन घोर कलिकाल,
प्रेमक शाश्वत कुसुम कोना मुरुझा गेलै
नहि रहलै आब ओ राग अनुराग
पोखरिक घाटगाछीईनार
सब जेना वीरान,उजाड़ भ गेलै
चिड़े चुनमुन चुप्प
चारहु कात अनहार घुप्प
हिय के कर्पूर कोना उड़ी गेल
कत्त ताकू? कोन कुंज? कोन बोन?
सोचे छथी राधा भरल आंखि स
की जखन,प्रियतम नहि अनुरागी,त
लिखत के प्रेम गीत
के लिखत जौवन के मधुर मधुर प्रीत
तकेत छथी व्याकुल भ,धरती,अकास के
गाछ बिरिक्षलता,कुंज,लग पास के,
बिलखैत पुछेत छथिलिखत के प्रेम गीत
लिखत के प्रेम गीत
विद्यापति जबाव दौथ।।