लोग गीतों का नगर याद आया
आज परदेस में घर याद आया
जब चले आए चमन-ज़ार से हम
इल्तिफ़ात-ए-गुल-ए-तर याद आया
तेरी बेगाना-निगाही सर-ए-शाम
ये सितम ता-ब-सहर याद आया
हम ज़माने का सितम भूल गए
जब तिरा लुत्फ़-ए-नज़र याद आया
तो भी मसरूर था इस शब सर-ए-बज़्म
अपने शे'रों का असर याद आया
फिर हुआ दर्द-ए-तमन्ना बेदार
फिर दिल-ए-ख़ाक-बसर याद आया
हम जिसे भूल चुके थे 'जालिब'
फिर वही राहगुज़र याद आया