मैं कि कहता हूँ मेरे पास रहो
तुम कि कहती हो तुमसे दूर कहाँ
मैं कि कहता हूँ मेरे साथ रहो
तुम कि कहती हो तुम तन्हा नहीं
अजीब रंग में कुछ अजीब रातों में
कहा ये तुमने यूँ ही बातों-बातों में
नमाज़ मैंने पढ़ी है बेवज़ू दफ़्फ़तन
याद करती हूँ मैं तुमको वज़ू के बाद