वहीं रावणोॅ केॅ संहारौ भी पारेॅ
अहिल्या केॅ जौनें कि तारौ भी पारेॅ
बसैलेॅ होलोॅ छै जे हिरदय में चंदन
वहीं साँप देहोॅ पेॅ धारौ भी पारेॅ
ई कलजुग छेकै आचरज कुछ नै करियोॅ
पुजारी सुरोॅ केॅ मुचारौ भी पारेॅ
जे इक इक घड़ी में उठै लेॅ छै व्याकुल
ई सोचलौ केना दिन गुजारौ भी पारेॅ
जे चंदन, सुगंधि-शीतलता केॅ दै छै
रगड़ला पर जंगल केॅ जारौ भी पारेॅ
मलकोॅ चलोॅ नै रूठी केॅ अमरेन्दर
घुमी केॅ रुठबैय्या पुकारौ भी पारेॅ
-20.6.61