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Kavita Kosh से
'''मुल्क की उम्मीद-ओ -अरमान मेरे राम,
इंसान की मुकम्मिल पहचान मेरे राम।
वतन में मुश्किलों का तूफ़ान मेरे राम,
फिर से पुकारता है हिन्दुस्तान मेरे राम।</poem>'''