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बात सालों की है / मनविंदर भिम्बर
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23:37, 28 दिसम्बर 2010
मंत्रों के नूर से उजली हुई
वो माला मेरे सामने थी
मैं अडोल
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सी खड़ी रह गई
और सोचने लगी
कैसे लूँ माला को
अनिल जनविजय
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