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आई नदी / कैलाश गौतम

17 bytes added, 07:01, 4 जनवरी 2011
|रचनाकार=कैलाश गौतम
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आई नदी गाँव में अब की डटी रही पखवारे भर
सूरज के संग धूप भी जैसे भगी रही पखवारे भर
तीज -पर्व में मजा न आया आग लगी गुडधानी गुड़धानी में
पुरखों की जो रहा निशानी बैठ गया घर पानी में
चीफ़ मिनिस्टर ऊपर-ऊपर बाढ़ देखकर चले गए
बाढ़ -पीड़ितों में काग़ज़ की नाव फेंककर चले गए
गई नाव में माचिस लेने लौटी नहीं दुलारी घर
गाँव बहुत गुस्सा है तब से बाढ़ -शिविर अधिकारी पर
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