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|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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मायने बदल जाएंगे
 
फूलों के
 
आयु के साथ
 
तब न होगा
 
सन्ताप
 
न चाह
 
कि बेसाख़्ता तोड़ लें
 
वृक्ष से
 
एक ख़ुशी
 
और इस बात को
 
तत्काल भूल जाएँ
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