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Kavita Kosh से
हिळमिळ हेत प्रीत दरसावां,
घर घर जा, परचार करां।
थपड़ा मार, गाल पम्पोळा
दांत काढ़, मू’डो मचकोळा,
कोतक बीच बजार करां।