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{{KKRachna
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
|संग्रह=गीत माधवी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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<poem>
लहरों के कलवर कलरव से शीतल
इस छाया के नीचे दो पल,
मैं थके हुये हुए ये पद पसार,
सुन लूँ वह ध्वनि जो बार-बार,
आती है निराश प्राणों से चल ।