भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुझाई गयी कविताएं

399 bytes added, 20:47, 23 अगस्त 2007
प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु साद
Ek phul ke chah Subhdra kumari chauhan ki kavita ----------------------------------------------------------- (.) होंगे वे कोइ और/श्रीकृष्ण श्री कृष्ण सरल(२) चंद्रसेन विराट की निम्न लिखित कविता****** तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये/थे कभी मुख पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये*******(२)
Anonymous user