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ग्रीष्म / महेन्द्र भटनागर

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|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= अभियान / महेन्द्र भटनागर
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तपता अम्बर, तपती धरती,
तपता रे जगती का कण-कण !