Changes

<poem>
होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
दर्द रंज कम सहता है एलान बहुत करता है
रात को जीत तो सकता पाता नहीं लेकिन ये चराग
कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है