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Kavita Kosh से
किसी की आँखों में मेरे लिए प्यार की निगाह नहीं
मैं हूँ अपने दर्दो-ग़म आहो-फ़ुगाँ<ref>दर्द, आह, और जलन</ref> की आप सदा<ref>पुकार</ref>शायद अब इस गुमनाम रात की कोई सुबह नहीं
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