भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
[[Category:संस्कृत]]
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
रे मन वसतु होशंगाबादे ।
समय-विशिष्टं न तु कुरू नष्टं, व्यर्थे वाद-विवादे ।