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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}‎[[Category:संस्कृत]]{{KKCatKavita‎}}<Poem> उठो लाल अब आंखें खोलो
अपनी बदहालत पर रोलो
पानी तो उपलब्ध नहीं है
राष्ट्रभक्ति की बहती गंगा
तुम भी अपने पातक धोलो।।उठो,,,,,
</poem>