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खोज / संतोष अलेक्स
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16:05, 20 अप्रैल 2011
<Poem>
डाइनिंग-टेबुल पर ढूँढ़ा मैंने तुम्हें
भीड
भीड़
में थे तुम
रोटियाँ बाँट रहे थे
फिर गिरजाघर में कोशिश की ढूँढ़ने की
तुम खेतों में दिखाई
दे
दिए
किसानों के बदन पर चमकते हुए
अनिल जनविजय
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