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Kavita Kosh से
<Poem>
डाइनिंग-टेबुल पर ढूँढ़ा मैंने तुम्हें
रोटियाँ बाँट रहे थे
फिर गिरजाघर में कोशिश की ढूँढ़ने की
तुम खेतों में दिखाई देदिए
किसानों के बदन पर चमकते हुए