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मेरो मन अनत कहां सचु पावै / सूरदास
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06:27, 1 मई 2011
<poem>
मेरो मन अनत कहां
सचु
सुख
पावै।
जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥
कमलनैन कौ छांड़ि महातम और देव को ध्यावै।
अनूप.भार्गव
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