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Kavita Kosh से
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण-
छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना।दूना मन
यश है या न वैभव है, मान है या न सरमाया;