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(101)
'''पुष्पवाटिकामें'''
'''राग टोड़ी'''भोर फूल बीनबेको गये फुलवाई हैं |सीसनि टिपारे, उपबीत, पीत पट कटि,दोना बाम करनि सलोने भे सवाई हैं ||रुपके अगार, भूपके कुमार, सुकुमार,गुरके प्रानाधार जबतें लै मुनि सङ्ग सेवकाई हैं सिधाए |नीच ज्यों टहल करैं, राखैं रुख अनुसरैं,कौसिक-से कोही बस किये दुहुँ भाई हैं ||सखिनसहित तेहि औसर बिधिके सँजोग गिरिजाजू पूजिबेको जानकीजू आई हैं |निरखि लषन- राम जाने ऋतुपति-कामलखनके समाचार,मोहि मानो मदन मोहनी मूड़ नाई हैं ||राघौजू-श्रीजानकी-लोचन मिलिबेको मोदकहिबेको जोगु सखि तबतें कछुअ न, मैं बातैं-सी बनाई हैं |स्वामी, सीय, सखिन्ह, लषन तुलसीको तैसोतैसो मन भयो जाकी जैसिये सगाई हैं पाए ||
बिनु पानही गमन, फल भोजन, भूमि सयन तरुछाहीं |
सर-सरिता जलपान, सिसुनके सँग सुसेवक नाहीं ||
कौसिक परम कृपालु परमहित, समरथ, सुखद, सुचाली |
बालक सुठि सुकुमार सकोची, समुझि सोच मोहि आली ||
बचन सप्रेम सुमित्राके सुनि सब सनेह-बस रानी |
तुलसी आइ भरत तेहि औसर कही सुमङ्गल बानी ||
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