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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
कोई जीने का सहारा तो हो!
दो घड़ी ज़िक्र हमारा तो हो!