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Kavita Kosh से
हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं
हम भी लगी जो आग उधर, देख रहे हैं
ख़ुद नाव बन गयी है भँवर, देख रहे हैं
शायद किसी में किसीमें प्यार की धड़कन भी सुन पड़े
हर फूल में एक शोख़ नज़र देख रहे हैं