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तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
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21:08, 9 जुलाई 2011
तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
मगर कुछ अपने भी प्यार के
गम
ग़म
छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
कभी तो पहुँचेगी तेरे दिल तक हवा में उड़ती हुई ये तानें
Vibhajhalani
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