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Kavita Kosh से
पर कौन बनेगा सह्भोगी!
'सबको तो देते रहे तोष
बापू 'बा' का भी रहा होश!'
'बा' रो-रोकर ज्यों कहती थी
आये बापू को याद तभी
वे एक-एककर दृश्य सभी
लघुवयस, शोखियों भरीशोख़ियोंभरी, चपल,
जब प्रिया प्राण करती चंचल