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कोयल से कह दो--/ गुलाब खंडेलवाल
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21:44, 20 जुलाई 2011
जब इसने मस्ती में झूम-झूमकर गाया था,
उस समय उपवन में वसंत आया था,
किन्तु अब तो
पतझर
पतझड़
की वेला है राजकुमारी ने सारा
दुःख
दुख
मन-ही-मन झेला है
कोयल से कह दो--
यों रसभरे बोल न सुनाये,
Vibhajhalani
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