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निरुद्देश्य, नि:संबल, निष्क्रमित, निरस्त / गुलाब खंडेलवाल
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21:15, 21 जुलाई 2011
जाने किस तंतु के सहारे टिके प्राण!
करुणा है किसी की यह अथवा संयोग!
लक्ष्य चिर-अलक्ष्य,
चरण कंपित मन त्रस्त
चरण कंपित, मन त्रस्त
कहाँ नहीं गया, छुए किसके न पाँव!
Vibhajhalani
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