भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
क्यों लोचन विरहानल सेते!
और न कुछ तो सुधि ले लेते
कभी गाँव के नाते
यमुना-तट पर वंशी बजती
वही युगल जोड़ी फिर सजती
नभ में श्यामल घटा गरजती
मोर, पपीहा गाते!
हरि तो योगेश्वर बन फूले
राधा कैसे उनको भूले!
जो उसके मन को भी छू ले
ऐसा ज्ञान सुनाते
लौटकर हरि वृन्दावन आते!
एक बार मिल लेती राधा उनसे जाते-जाते!
<poem>